ज्यादातर लोग वित्त वर्ष के अंत में या जब नियोक्ता द्वारा ज्यादा टैक्स काटा जाता है उस महीने में टैक्स बचाने के तरीकों में निवेश करने की योजना बनाते करते हैं। टैक्स प्लानिंग में देरी करने से, वे आखिरकार कर-बचत के तरीकों में एकमुश्त बड़ी राशि का निवेश करते हैं और इस अवधि के दौरान नकदी संकट का सामना करते हैं। वित्त वर्ष में कमाई जाने वाली अनुमानित आय के आधार पर वर्ष की शुरुआत में व्यवस्थित रूप से नियोजन करना सबसे अच्छा तरीका है। इससे आय या लाभ का अनुमान लगाने और ऐसी आय में किसी भी उतार-चढ़ाव के साथ करों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
टैक्स प्लानिंग शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका अपनी व्यक्तिगत स्थिति में किसी भी बदलाव की पहचान करना है जो आपके दिए जाने वाले टैक्स को प्रभावित कर सकती है। नौकरी में बदलाव, अधिक आय, उम्र में वृद्धि, घर बेचने या नए घर के लिए होम लोन का लाभ उठाने से आपके करों पर असर पड़ने की संभावना है। साथ ही, सरकार द्वारा घोषित टैक्स कानूनों में कोई भी बदलाव आपके करों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यदि आपने अपने टैक्स की योजना जल्दी बना ली है, तो आपके लिए ऊपर बताए गए कारणों का समायोजन करना मुश्किल नहीं होगा। अन्यथा, टैक्स की बड़ी देनदारियां आपकी गाढ़ी कमाई को खा जाएंगी।
वित्त वर्ष की शुरुआत में अपनी कर देयता की गणना कैसे करें?
एक आसान तरीका यह है कि अपने पिछले साल की आय और खर्चों को मौजूदा साल के अनुमानित आंकड़ों के साथ-साथ नोट किया जाए। उसके बाद, आपकी आय जिस कम सीमा पर आती है, उसके आधार पर अपनी अनुमानित कर योग्य आय पर अपनी कर देयता की गणना कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आपकी कर योग्य आय पिछले वित्त वर्ष में 9.5 लाख रुपये थी और आप चालू वित्त वर्ष में अपनी आय में 20% की वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। यहां दोनों वर्षों के लिए आपकी कर देयता इस प्रकार होगी।
विवरण रकम
पिछले वित्त वर्ष की कर योग्य आय 9.5 लाख रुपये
ऐसी आय पर कर देयता 1.05 लाख रुपये
20% की वृद्धि के साथ अनुमानित कर योग्य आय 11.4 लाख रुपये
ऐसी अनुमानित आय पर कर देयता 1.59 लाख रुपये
अब जबकि आपने अपने टैक्स की गणना कर ली है, तो आपके लिए यह जानना आसान होगा कि ज्यादा से ज्यादा राशि पर टैक्स को बचाने के लिए आपको कितना निवेश करना होगा।
टैक्स प्लानिंग के लाभ
टैक्स बचाने के सही तरीके चुनें और चक्रवृद्धि का फायदा उठाएं: टैक्स बचाते समय, आपको सिर्फ अपना टैक्स ही कम नहीं करना है। अपने टैक्स की योजना को निवेश की योजनाओं के साथ मिलाना भी ज़रूरी है। इससे आपको दीर्घकालिक संपत्ति बनाने में मदद मिलेगी और आपका टैक्स भी बचेगा। टैक्स बचाने के विभिन्न विकल्प हैं जहां आप निवेश कर सकते और टैक्स बचा सकते हैं, लेकिन सबसे कुशल वे विकल्प हैं जो आपको वित्तीय सुरक्षा भी देते हैं। इसलिए, यदि आप जल्दी निवेश करना शुरू करते हैं, तो आप अपने टैक्स को उसके अनुसार बचा सकते हैं और फिर से उसका निवेश कर सकते हैं। दोबारा निवेश की गई राशि चक्रवृद्धि की ताकत से बढ़ते हुए समय के साथ बड़ी रकम बन जाती है।
टैक्स बचाने के सभी उपलब्ध विकल्पों को समझें और अधिकतम बचत करें: करदाताओं के लिए टैक्स बचाने के कई विकल्प उपलब्ध हैं। अपनी टैक्स बचत को बढ़ावा देने के लिए सभी विकल्पों को देखना और तुलना करना आपके लिए फायदेमंद है।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण विकल्प आयकर अधिनियम के अध्याय 6-ए का अनुच्छेद 80सी है। आप पीपीएफ, एनएससी, पांच साल के सावधि जमा, जीवन बीमा के प्रीमियम के भुगतान, टैक्स बचाने वाले म्युचुअल फंडों में निवेश कर सकते हैं और एक साल में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ पा सकते हैं। इन निवेशों के साथ, आप अनुच्छेद 80सी के तहत बच्चों के शिक्षण शुल्क, होम लोन के पुनर्भुगतान जैसे विभिन्न खर्चों का भी दावा कर सकते हैं।
इसी तरह, आप स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के भुगतान के लिए एक वित्त वर्ष में 25,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। अनुच्छेद 80सी के 1.5 लाख रुपये के अलावा, आप राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में निवेश कर सकते हैं और अनुच्छेद 80सीसीडी के तहत 50,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। निर्दिष्ट फंड या धर्मार्थ ट्रस्टों को किए गए किसी भी दान का दावा पूरी तरह से या आंशिक रूप से अनुच्छेद 80जी के तहत किया जा सकता है। कई अन्य रास्ते हैं जैसे कि अनुच्छेद 80ईई के तहत शिक्षा ऋण पर दिए गए ब्याज की कटौती, अनुच्छेद 80टीटीए के तहत बचत खाते पर अर्जित ब्याज में कटौती आदि।
आप एक स्व-अधिकृत संपत्ति के लिए हो लोन पर एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 2 लाख रुपये तक के ब्याज का दावा भी कर सकते हैं। वर्ष की शुरुआत में सभी उपर्युक्त तरीकों को जानने और समझने से आप अपने टैक्स में बड़े भुगतान की बचत कर सकते हैं।
विवेकपूर्ण तरीके से अपने करों की योजना कैसे बनाएं?
चरण 1: आयकर अधिनियम, 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध सभी तरीकों को पहचानें और तुलना करें।
चरण 2: टैक्स बचाने के अपने लक्ष्यों को अपने विशिष्ट दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे शादी, बच्चों की शिक्षा के साथ अलाइन करें।
चरण 3: अपनी जोखिम की क्षमता के आधार पर तरीके चुनें और निवेश करें। उदाहरण के लिए, अपने करियर के प्रारंभिक चरण में या उच्च आय संरचना वाला एक व्यक्ति ज्यादा जोखिम लेने के लिए तैयार होता है। वह अपने निवेश का 80% से अधिक टैक्स बचाने वाले म्युचुअल फंड, यूलिप या एनपीएस जैसे बाज़ार से जुड़े विकल्पों में लगा सकता है।
चरण 4: एकमुश्त निवेश से बचें और व्यवस्थित निवेश योजना की ओर बढ़ें। यह आपको वर्ष के मध्य में नकदी संकट से बचाएगा।
हालांकि, इस वित्त वर्ष का आधा समय बीत चुका है, फिर भी आप अपने टैक्स की योजना बना सकते हैं और यह देख सकते हैं कि आप कहां खड़े हैं और शेष वर्ष के लिए क्या समायोजन किया जा सकता है। यदि आप अंतिम समय में टैक्स की योजना बनाने का इंतज़ार करते हैं, तो आप कम बचत के साथ ऐसा निवेश कर सकते हैं जो ज्यादा फायदे का सौदा न हो। यदि आपने पहले ही टैक्स प्लानिंग कर ली है, तो अपनी योजना को फिर से देखना और यह जांचना बेहतर है कि आप कर बचाने के सही रास्ते पर हैं या नहीं।
Tax planning is the analysis of a financial situation or plan from a tax perspective. The purpose of tax planning is to ensure tax efficiency. Through tax planning, all elements of the financial plan work together in the most tax-efficient manner possible. Tax planning is an essential part of a financial plan. The reduction of tax liability and maximizing the ability to contribute to retirement plans are crucial for success.
Capitalstars is a SEBI registered investment advisor. Schedule a call with Capitalstars investment consultant or drop a mail at backoffice@capiltalstars.in and we will get in touch with you.
You may also call us on 9977499927.
We will be happy to help you plan your tax. ☺
Get more details here:
Call on:9977499927
* Investment & Trading in securities market is always subjected to market risks, past performance is not a guarantee of future performance.