Wednesday, October 16, 2019

निवेश के लिए ई-कार में सौ फीसदी टैक्स छूट, स्टार्टअप को एक करोड़ की सहायता

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सीएम कमलनाथ ने अचानक बुलाई कैबिनेट बैठक,
 मंत्रियों से कहा- विपक्ष के सामने कमजोर पड़ रहा है सत्ता पक्ष
मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मध्यप्रदेश भू-संपदा नीति 2019 और मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2019 को अनुमोदन प्रदान किया गया। इससे प्रदेश में नवीन निवेश आकर्षित किए जा सकेंगे।

मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मध्यप्रदेश भू-संपदा नीति 2019 और मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2019 को अनुमोदन प्रदान किया गया। इससे प्रदेश में नवीन निवेश आकर्षित किए जा सकेंगे। डिजिटल तकनीक के माध्यम से हितग्राहियों के कार्यो में बेहतर समन्वय तथा आवेदक मित्र व्यवस्था लागू करने का प्रयास किया गया है। इससे कार्य में स्पष्टता, पारदर्शिता और जवाबदेही स्थापित हो सकेगी।

अब 27 के स्थान पर 5 दस्तावेज होंगे मान्य मध्यप्रदेश भू-संपदा नीति 2019 में नागरिकों, कॉलोनाईजर और निवेशक सभी के लिए प्रावधान किये गये हैं। नागरिकों को छोटे आवासों की तत्काल अनुमति, नुजूल एन.ओ.सी. के प्रावधानों को कम करने, राजस्व, टाउन एंड कट्री प्लानिंग और नगरीय निकायों के दस्तावेजों में सामन्जस्य, लैंड पुलिंग के माध्यम से अधिक भूमि की वापसी, पुरानी स्कीम के लिए पारदर्शी निर्णय की प्रक्रिया, बंधक संपत्ति को चरणों में रिलीज करने की व्यवस्था, 27 प्रकार के दस्तावेज कम कर 5 दस्तावेज आवश्यक करने संबंधी व्यवस्था की गई है। कॉलोनाईजर के लिए एक राज्य एक पंजीकरण, अवैध कॉलोनाईजेशन रोकने के लिए 2 हेक्टेयर की सीमा समाप्त करने, कॉलोनी के विकास और पूर्णता की तीन चरणों में अनुमति, ईडब्ल्यूएस निर्माण की अनिर्वायता से छूट जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसी प्रकार निवेशकों के लिए राजस्व, प्लानिंग एरिया की सीमा पर फ्री एफ.ए.आर., ईडब्ल्यूएस/एलआईजी बनाने वाले निवेशकों को प्रोत्साहन जैसे कई प्रावधान भू-संपदा नीति में किए गए हैं।

मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 को अनुमोदन 

मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 को अनुमोदन प्रदान किया। शहरी सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ बनाने और शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने तथा गैर पेट्रोलियम वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस नीति में चार्जिंग, अधोसंरचना विकास और इलेक्ट्रिक वाहन और उसके घटकों के निर्माण पर छूट का प्रावधान है। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मोटर व्हीकल टैक्स एवं रजिस्ट्रेशन टैक्स में शत-प्रतिशत रियायत प्रदान की जाएगी। प्रथम पाँच वर्षो में नगरीय निकायों के अधीनस्थ संचालित पार्किंग में शत-प्रतिशत रियायत का प्रावधान भी है। इसके साथ ही इंजीनियरों और टेक्नीशियनों को प्रशिक्षित कर नये रोजगार सृजित किए जाएंगे।

मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन 

मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन को अनुमोदन प्रदान किया। गौण खनिज आधारित न्यूनतम 25 करोड़ रूपये निवेश से नवीन उद्योग/विस्तार के प्रस्तावों पर दो करोड़ रूपए की बैंक गारंटी लेने पर सीधे उत्खननपट्टा आवंटन किया जाएगा। अनुसूची-एक में मेन्युफेक्चर्ड सेंड (एम-सैंड) के नाम से एक नये गौण खनिज को जोड़ा जा रहा है, जिसकी रायल्टी 50 रूपये प्रति घनमीटर प्रस्तावित की गई है। इस प्रावधान से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर के साथ अतिरिक्त खनिज राजस्व भी प्राप्त होगा।

ग्रेनाईट एवं अन्य आकारीय पत्थर की खदानों में अतिरिक्त मात्रा में निकलने वाले अनुपयोगी पत्थर (वेस्ट) के विक्रय की व्यवस्था नहीं है। इस पत्थर की माँग निर्माण सामग्री के लिए काफी है। अत: ऐसे अनुपयोगी पत्थर को गिट्टी/बोल्डर निर्माण के लिए अनुसूची-एक में अनुक्रमांक 9 पर जोड़ा जा रहा है, जिसकी रायल्टी 120 रूपये प्रति घनमीटर प्रस्तावित की गई है। इस प्रावधान से स्थानीय स्तर पर विभिन्न निर्माण कार्यो के लिए गौण खनिज सुगमता से उपलब्ध हो सकेगा। अनुसूची-एक और दो के चार हेक्टेयर तक के क्षेत्र जिले के कलेक्टर/अपर कलेक्टर स्वीकृत कर सकेंगे। चार हेक्टेयर से अधिक पर 10 हेक्टेयर तक के क्षेत्र, संचालक भौमिकी तथा खनिकर्म स्वीकृत कर सकेंगे तथा राज्य शासन की पूर्व अनुमति से इन खनिजों के 250 हेक्टेयर तक के क्षेत्र संचालक स्वीकृत कर सकेंगे।

उद्यमियों और स्टार्टअप को प्रोत्साहन 

मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति 2019 को अनुमोदन प्रदान किया। इसके अन्तर्गत फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाईल्स और पॉवरलूम जैसे चयनित सेक्टर्स के लिए रियायतों के विशेष पैकेज, यंत्र-संयत्र के साथ-साथ भवन पर भी अनुदान तथा महिला/अजा/अजजा उद्यमियों द्वारा संचालित ईकाइयों को अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है। मंत्रि-परिषद ने 'मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति 2019' को अनुमोदन प्रदान किया। यह नीति एक अप्रेल 2020 से लागू की जाएगी। इससे इन्क्यूबेटर्स एवं स्टार्टअप को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं में वृद्धि होगी। इससे नवाचार युक्त एवं नवीन प्रोडक्ट्स के साथ अपना स्टार्टअप स्थापित करने के इच्छुक प्रदेश के नव उद्यमी लाभान्वित होंगे।

बेड एन्ड ब्रेकफास्ट योजना अनुमोदित 

मंत्रि-परिषद ने पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के अवसर निर्मित करने और पर्यटकों को आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नवीन योजनाओं के प्रर्वतन के क्रम में मध्यप्रदेश बेड एण्ड ब्रेकफास्ट स्थापना योजना 2019 को अनुमोदन प्रदान किया। योजना का उद्देश्य देशी-विदेशी पर्यटकों को किफायती दरों पर आवास और नाश्ता/भोजन सुविधा प्रदाय करना, देशी-विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति तथा आतिथ्य से परिचित कराना, नागरिकों को अपने आवास में उपलब्ध अतिरिक्त क्षमता से आय अर्जन और रोजगार सृजन के अवसर प्रदान करना, स्थानीय स्तर पर पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधाओं का विकास एवं अभिवृद्धि तथा प्रदेश में निजी क्षेत्र के माध्यम से पर्यटक आवासीय सुविधाओं का विस्तार करना है।

अन्य निर्णय 

मंत्रि-परिषद ने स्मार्ट इण्डस्ट्रीयल पार्क पीथमपुर की जापानीज तथा सुदूर पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के निवेशकों के लिए आरक्षित कुल भूमि में से 72.77 हेक्टेयर भूमि को प्रदेश/देश के निवेशकों के लिए मल्टी प्रोडक्ट औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अनारक्षित करने को अनुसमर्थन प्रदान किया।

Tax planning is the analysis of a financial situation or plan from a tax perspective. The purpose of tax planning is to ensure tax efficiency. Through tax planning, all elements of the financial plan work together in the most tax-efficient manner possible. Tax planning is an essential part of a financial plan. The reduction of tax liability and maximizing the ability to contribute to retirement plans are crucial for success.

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Tuesday, October 15, 2019

Income Tax Planning में न करें देर, इन तरीकों से बचाएं टैक्‍स और पाएं ज्‍यादा लाभ

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Income Tax बचाने की योजना बनाने में अब और देर न करें।
नहीं तो आप इसके लिए किए जाने वाले निवेश पर मिलने
वाले लाभ से वंचित रह जाएंगे।
ज्‍यादातर लोग वित्त वर्ष के अंत में या जब नियोक्ता द्वारा ज्यादा टैक्स काटा जाता है उस महीने में टैक्स बचाने के तरीकों में निवेश करने की योजना बनाते करते हैं। टैक्स प्‍लानिंग में देरी करने से, वे आखिरकार कर-बचत के तरीकों में एकमुश्त बड़ी राशि का निवेश करते हैं और इस अवधि के दौरान नकदी संकट का सामना करते हैं। वित्त वर्ष में कमाई जाने वाली अनुमानित आय के आधार पर वर्ष की शुरुआत में व्यवस्थित रूप से नियोजन करना सबसे अच्छा तरीका है। इससे आय या लाभ का अनुमान लगाने और ऐसी आय में किसी भी उतार-चढ़ाव के साथ करों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। 

टैक्स प्‍लानिंग शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका अपनी व्यक्तिगत स्थिति में किसी भी बदलाव की पहचान करना है जो आपके दिए जाने वाले टैक्स को प्रभावित कर सकती है। नौकरी में बदलाव, अधिक आय, उम्र में वृद्धि, घर बेचने या नए घर के लिए होम लोन का लाभ उठाने से आपके करों पर असर पड़ने की संभावना है। साथ ही, सरकार द्वारा घोषित टैक्स कानूनों में कोई भी बदलाव आपके करों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यदि आपने अपने टैक्स की योजना जल्दी बना ली है, तो आपके लिए ऊपर बताए गए कारणों का समायोजन करना मुश्किल नहीं होगा। अन्यथा, टैक्स की बड़ी देनदारियां आपकी गाढ़ी कमाई को खा जाएंगी।

वित्त वर्ष की शुरुआत में अपनी कर देयता की गणना कैसे करें?

एक आसान तरीका यह है कि अपने पिछले साल की आय और खर्चों को मौजूदा साल के अनुमानित आंकड़ों के साथ-साथ नोट किया जाए। उसके बाद, आपकी आय जिस कम सीमा पर आती है, उसके आधार पर अपनी अनुमानित कर योग्य आय पर अपनी कर देयता की गणना कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि आपकी कर योग्य आय पिछले वित्त वर्ष में 9.5 लाख रुपये थी और आप चालू वित्त वर्ष में अपनी आय में 20% की वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। यहां दोनों वर्षों के लिए आपकी कर देयता इस प्रकार होगी।

विवरण  रकम

पिछले वित्त वर्ष की कर योग्य आय 9.5 लाख रुपये

ऐसी आय पर कर देयता 1.05 लाख रुपये

20% की वृद्धि के साथ अनुमानित कर योग्य आय  11.4 लाख रुपये

ऐसी अनुमानित आय पर कर देयता 1.59 लाख रुपये

अब जबकि आपने अपने टैक्स की गणना कर ली है, तो आपके लिए यह जानना आसान होगा कि ज्यादा से ज्यादा राशि पर टैक्स को बचाने के लिए आपको कितना निवेश करना होगा।

टैक्‍स प्‍लानिंग के लाभ

टैक्स बचाने के सही तरीके चुनें और चक्रवृद्धि का फायदा उठाएं: टैक्स बचाते समय, आपको सिर्फ अपना टैक्‍स ही कम नहीं करना है। अपने टैक्स की योजना को निवेश की योजनाओं के साथ मिलाना भी ज़रूरी है। इससे आपको दीर्घकालिक संपत्ति बनाने में मदद मिलेगी और आपका टैक्स भी बचेगा। टैक्स बचाने के विभिन्न विकल्प हैं जहां आप निवेश कर सकते और टैक्स बचा सकते हैं, लेकिन सबसे कुशल वे विकल्प हैं जो आपको वित्तीय सुरक्षा भी देते हैं। इसलिए, यदि आप जल्दी निवेश करना शुरू करते हैं, तो आप अपने टैक्स को उसके अनुसार बचा सकते हैं और फिर से उसका निवेश कर सकते हैं। दोबारा निवेश की गई राशि चक्रवृद्धि की ताकत से बढ़ते हुए समय के साथ बड़ी रकम बन जाती है। 

टैक्स बचाने के सभी उपलब्ध विकल्पों को समझें और अधिकतम बचत करें: करदाताओं के लिए टैक्स बचाने के कई विकल्‍प उपलब्ध हैं। अपनी टैक्स बचत को बढ़ावा देने के लिए सभी विकल्पों को देखना और तुलना करना आपके लिए फायदेमंद है। 

पहला और सबसे महत्वपूर्ण विकल्प आयकर अधिनियम के अध्याय 6-ए का अनुच्छेद 80सी है। आप पीपीएफ, एनएससी, पांच साल के सावधि जमा, जीवन बीमा के प्रीमियम के भुगतान, टैक्स बचाने वाले म्युचुअल फंडों में निवेश कर सकते हैं और एक साल में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ पा सकते हैं। इन निवेशों के साथ, आप अनुच्छेद 80सी के तहत बच्चों के शिक्षण शुल्क, होम लोन के पुनर्भुगतान जैसे विभिन्न खर्चों का भी दावा कर सकते हैं। 

इसी तरह, आप स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के भुगतान के लिए एक वित्त वर्ष में 25,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। अनुच्छेद 80सी के 1.5 लाख रुपये के अलावा, आप राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में निवेश कर सकते हैं और अनुच्छेद 80सीसीडी के तहत 50,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। निर्दिष्ट फंड या धर्मार्थ ट्रस्टों को किए गए किसी भी दान का दावा पूरी तरह से या आंशिक रूप से अनुच्छेद 80जी के तहत किया जा सकता है। कई अन्य रास्ते हैं जैसे कि अनुच्छेद 80ईई के तहत शिक्षा ऋण पर दिए गए ब्याज की कटौती, अनुच्छेद 80टीटीए के तहत बचत खाते पर अर्जित ब्याज में कटौती आदि।  

आप एक स्व-अधिकृत संपत्ति के लिए हो लोन पर एक वित्‍त वर्ष के दौरान अधिकतम 2 लाख रुपये तक के ब्याज का दावा भी कर सकते हैं। वर्ष की शुरुआत में सभी उपर्युक्त तरीकों को जानने और समझने से आप अपने टैक्स में बड़े भुगतान की बचत कर सकते हैं। 

विवेकपूर्ण तरीके से अपने करों की योजना कैसे बनाएं?

चरण 1: आयकर अधिनियम, 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध सभी तरीकों को पहचानें और तुलना करें। 

चरण 2: टैक्स बचाने के अपने लक्ष्यों को अपने विशिष्ट दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे शादी, बच्चों की शिक्षा के साथ अलाइन करें। 

चरण 3: अपनी जोखिम की क्षमता के आधार पर तरीके चुनें और निवेश करें। उदाहरण के लिए, अपने करियर के प्रारंभिक चरण में या उच्च आय संरचना वाला एक व्यक्ति ज्यादा जोखिम लेने के लिए तैयार होता है। वह अपने निवेश का 80% से अधिक टैक्स बचाने वाले म्युचुअल फंड, यूलिप या एनपीएस जैसे बाज़ार से जुड़े विकल्पों में लगा सकता है। 

चरण 4: एकमुश्त निवेश से बचें और व्यवस्थित निवेश योजना की ओर बढ़ें। यह आपको वर्ष के मध्य में नकदी संकट से बचाएगा।


हालांकि, इस वित्त वर्ष का आधा समय बीत चुका है, फिर भी आप अपने टैक्स की योजना बना सकते हैं और यह देख सकते हैं कि आप कहां खड़े हैं और शेष वर्ष के लिए क्या समायोजन किया जा सकता है। यदि आप अंतिम समय में टैक्स की योजना बनाने का इंतज़ार करते हैं, तो आप कम बचत के साथ ऐसा निवेश कर सकते हैं जो ज्‍यादा फायदे का सौदा न हो। यदि आपने पहले ही टैक्‍स प्‍लानिंग कर ली है, तो अपनी योजना को फिर से देखना और यह जांचना बेहतर है कि आप कर बचाने के सही रास्ते पर हैं या नहीं।
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Friday, October 11, 2019

नए टैक्स के फायदों के लिए कंपनियों ने रोके एक्सपैंशन प्लान

कॉर्पोरेट टैक्स रेट घटाकर 15% किए जाने के बाद कई कंपनियों ने अपनी विस्तार योजनाएं रोक दी हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से मिलने वाले फायदे के बारे में जानने के लिए टैक्स एक्सपर्ट्स से मशविरा शुरू कर दिया है।
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नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स रेट घटाकर 15% किए जाने के बाद कई कंपनियों ने अपनी विस्तार योजनाएं रोक दी हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से मिलने वाले फायदे के बारे में जानने के लिए टैक्स एक्सपर्ट्स से मशविरा शुरू कर दिया है। कंपनियों को लग रहा है कि मौजूदा फर्मों में सीधे निवेश करने के बजाय वही पैसा अलग कंपनी बनाकर लगाया जाए तो उन्हें लगभग 10% टैक्स की बचत हो जाएगी। पिछले शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 2023 से पहले प्रॉडक्शन शुरू करने वाली नई कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स का रेट सबसे कम रखने का ऐलान किया था। इन कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स रेट औसतन लगभग 17% हो सकता है।

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक्सपैंशन प्लान वाली फार्मा और इंजिनियरिंग सहित ज्यादातर कंपनियां नए टैक्स स्ट्रक्चर का फायदा उठाने के लिए नई कंपनियां बनाने के विकल्प का आकलन करने लगी हैं। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म धुव अडवाइजर्स के सीईओ निदेश कनबार ने कहा, 'एक कंपनी के लिए 10% टैक्स की बचत (आर्बिट्राज) बहुत होता है। टैक्स लीकेज न हो इसके लिए बहुत सी कंपनियां पूरे मालिकाना हक वाली ऐसी कंपनी बनाने पर विचार करना शुरू कर सकती हैं, जहां वे डिविडेंड पा सकें और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स सेट ऑफ कर सकें। जहां तक बिजनस रीस्ट्रक्चरिंग की बात है तो सुप्रीम कोर्ट के एक ऑर्डर में रीस्ट्रक्चरिंग को परिभाषित किया गया है। कंपनियों को ऐसा स्ट्रक्चर बनाना होगा, जिससे इन नॉर्म्स का उल्लंघन न हो।'

मौजूदा रेगुलेशंस के मुताबिक, नए इन्वेस्टमेंट की रीस्ट्रक्चरिंग नहीं की जा सकती, लेकिन फ्रेश कैपिटल एक्सपेंडिचर नई लीगल एंटिटी के जरिए किया जा सकता है। अगर कंपनियां 15% कॉर्पोरेट टैक्स का फायदा पाने के लिए नई लीगल एंटिटी बनाती हैं तो उन्हें कैश मैनेजमेंट, डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स, कंप्लायंस कॉस्ट का बोझ उठाना होगा। इनसाइडर्स का कहना है कि कई बड़ी कंपनियां इस विकल्प का आकलन कर रही हैं लेकिन टैक्स बचाने का आकर्षण में बाकी चीजें भुला दी जा सकती हैं।

मिसाल के लिए नई यूनिट लगाने पर विचार कर रही एक बड़ी फार्मा कंपनी ने अपनी प्लानिंग रोक दी है। कंपनी अब पूरे मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी शुरू करने के विकल्प पर विचार कर रही है। इसे एक नई एंटिटी की तरह शुरू किया जाएगा और इसके जरिए निवेश किया जाएगा। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि इस रूट पर चलने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा ताकि आने वाले वर्षों में टैक्स अथॉरिटीज उनके पीछे न पड़ें।
ट्रांजैक्शन स्क्वेयर के फाउंडर गिरीश वनवारी कहते हैं, 'कंपनियां कैपिटल एक्सपेंडिचर नई लीग एंटिटी के जरिए करके 15% कॉरपोरेट टैक्स रेट का फायदा उठा सकती हैं, लेकिन उन्हें देखना होगा कि इसके लिए रीस्ट्रक्चरिंग न हो और नई कंपनी मौजूदा एंटिटी से उधार न ले और पुरानी कंपनी के कस्टमर्स नई कंपनी को ट्रांसफर न किए जाएं।'

Tax planning is the analysis of a financial situation or plan from a tax perspective. The purpose of tax planning is to ensure tax efficiency. Through tax planning, all elements of the financial plan work together in the most tax-efficient manner possible. Tax planning is an essential part of a financial plan. The reduction of tax liability and maximizing the ability to contribute to retirement plans are crucial for success.

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Wednesday, October 9, 2019

इनकम टैक्स: फेसलेस ई-असेसमेंट स्कीम लॉन्च, जानिए इसके फायदे

कितने मामले स्क्रूटनी के लिए चुने जाएंगे, यह एक खास पैमाने पर निर्भर करेगा. इसमें गड़बड़ी की गंभीरता शामिल है.
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इस सुविधा के लॉन्च होने से रिटर्न की प्रोसेसिंग कहीं से हो सकेगी.
 यानी असेसमेंट को लेकर स्थान का महत्व खत्म हो जाएगा.
टैक्‍स के मामलों में अब करदाता को असेसमेंट ऑफिसर से मिलने की जरूरत नहीं होगी. सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. सोमवार को सरकार ने फेसलेस ई-असेसमेंट स्कीम की शुरुआत कर दी है. माना जाता है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. इस स्कीम के शुरू हो जाने के बाद करदाता को असेसमेंट ऑफिसर से मुखातिब नहीं होना पड़ेगा. राजस्व सचिव एबी पांडेय ने कहा, "इस स्कीम का मकसद फेसलेस स्क्रूटनी की दिशा में बढ़ना है. इसमें फिजकल इंटरफेस की जरूरत नहीं होगी." नेशनल ई-असेसमेंट सेंटर (NeAC) का शुभारंभ करते हुए पांडेय ने ये बातें कहीं. इस सुविधा के लॉन्च होने से रिटर्न की प्रोसेसिंग कहीं से हो सकेगी. यानी असेसमेंट को लेकर स्थान का महत्व खत्म हो जाएगा. पांडेय ने बताया, "जिस किसी का भी मामला स्क्रूटनी के लिए चुना जाएगा, उन्हें सभी डॉक्यूमेंट ऑनलाइन देने होंगे. असेसमेंट ऑफिसर को भी रैंडमली यानी कहीं से भी चुना जाएगा."

कितने मामले स्क्रूटनी के लिए चुने जाएंगे, यह एक खास पैमाने पर निर्भर करेगा. इसमें गड़बड़ी की गंभीरता शामिल है. शुरुआत में नेशनल ई-असेसमेंट सेंटर 58,322 इनकम टैक्स के मामलों को लेगा.

इस स्कीम के कई फायदे हैं. इससे करदाताओं के लिए टैक्स नियमों का अनुपालन करना आसान होगा. पारदर्शिता बढ़ेगी. बेहतर निगरानी हो सकेगी. करदाताओं को परेशान नहीं किया जा सकेगा. मामलों का तेजी से निपटान होगा.

आयकर विभाग ने कहा कि स्कीम से टैक्स के मामलों में बड़ा बदलाव आएगा. इनकम टैक्‍स असेसमेंट सिस्टम से ह्यूमन इंटरफेस खत्म हो जाएगा.
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एनईएसी देशभर में फेसलेस ई-असेसमेंट की सुविधा देगा. इसका करदाताओं को लाभ होगा. स्कीम को लागू करने के लिए आयकर विभाग ने विभाग के कुल 2,686 अधिकारियों को लगाया है. जुलाई में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फेसलेस असेसमेंट स्कीम की घोषणा की थी. तब उन्होंने कहा था, "स्क्रूटनी की मौजूदा व्यवस्था में करदाता और विभाग के बीच आमने-सामने बात करने की काफी जरूरत पड़ती है. यह करदाताओं के लिए असुविधा का कारण बनता है. इसे खत्म करने के लिए फेसलेस असेसमेंट स्कीम लाने की तैयारी है."

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Friday, October 4, 2019

इं​डीविजुअल टैक्सपेयर्स को मिल सकता है दिवाली गिफ्ट, कॉरपोरेट टैक्स के बाद अब पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती की तैयारी

यह मांग में बढ़ोत्तरी और निवेश में तेजी लाने के लिए सरकार के प्रयासों का हिस्सा है.
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इस दिवाली केंद्र सरकार इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स को बड़ा तोहफा दे सकती है. कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद अब सरकार पर्सनल इनकम टैक्स रेट में कटौती पर विचार कर रही है. यह मांग में बढ़ोत्तरी और निवेश में तेजी लाने के लिए सरकार के प्रयासों का हिस्सा है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार जल्द ही पर्सनल इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का एलान कर सकती है.

हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दो सरकारी अधिकारियों का हवाला दिया है. सरकार के इस कदम से आम जनता, विशेषकर मिडिल क्लास के हाथ में ज्यादा इनकम ​बचेगी. इससे खपत और ग्रोथ को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इससे पहले हाल ही में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का एलान किया था, जिसके चलते सरकार के रेवेन्यु पर अधि​कतम 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

इनकम टैक्स कानूनों किया जा रहा सरल
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी अधिकारी इनकम टैक्स कानूनों को सरल और टैक्स रेट को तर्कसंगत बनाने के लिए काम कर रहे हैं. ऐसा डायरेक्ट टैक्स कोड पर गठित टास्क फोर्स की सिफारिशों के अनुरूप किया जा रहा है. इस टास्क फोर्स ने 19 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसके पीछे मकसद टैक्स अनुपालन और टैक्स बेस को बढ़ाना और टैक्सपेयर्स जिंदगी आसान बनाना है.

5-10 लाख टैक्सेबल इनकम पर 10 फीसदी रह सकता है टैक्स स्लैब
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार आयकर कानूनों को आसान बनाने और टैक्स रेट को तर्कसंगत बनाने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही है. इनमें से एक विकल्प 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम वालों के लिए 10 फीसदी स्लैब की पेशकश करना है. अभी इस स्लैब पर 20% टैक्स लगता है. ये भी कयास हैं कि सरकार सेस, सरचार्ज आदि को भी हटा सकती है और कई टैक्स छूट का भी एलान कर सकती है. ​रिपोर्ट में कहा गया कि सूत्रों के मुताबिक, सरकार का विचार हर टैक्सपेयर को टैक्स रेट में कम से कम 5 फीसदी पॉइंट का फायदा देने का है.

मौजूदा टैक्स स्लैब
अभी 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी टैक्स के दायरे से बाहर है, जबकि 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 5% टैक्स बनता है. हालांकि फरवरी 2019 के अंतरिम बजट में हुई घोषणा में सरकार ने इस सीमा तक बनने वाले टैक्स पर रिबेट की सीमा बढ़ाकर 12500 रुपये कर दी. इसके चलते अब 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर जीरो टैक्स हो गया है. 5—10 लाख रुपये तक टैक्सेबल इनकम पर टैक्स रेट 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा वालों पर 30 फीसदी है.

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Monday, September 30, 2019

टैक्स प्लानिंग शुरू करने का सही समय क्या है?

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कोई भी व्यक्ति, अपनी मेहनत की कमाई को टैक्स के पीछे बर्बाद करना नहीं चाहता है। लेकिन सोच-समझकर एक टैक्स सेविंग प्लान बनाने और अपनी देनदारी को सुव्यवस्थित तरीके से कम करने के बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं। अपनी टैक्स देनदारी को कम करने के लिए, नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही टैक्स प्लानिंग शुरू करना बहुत जरूरी है। तो आइए नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ जल्दी से टैक्स प्लानिंग की शुरुआत करने के फायदों पर एक नजर डालते हैं।

जबकि टैक्स प्लानिंग, हर उम्र के लोगों के लिए जरूरी है, लेकिन सही निवेश साधन का चुनाव ही आपकी टैक्स प्लानिंग को एक असरदार टैक्स प्लानिंग बना सकता है। आपकी टैक्स प्लानिंग और निवेश प्लानिंग में एक अच्छा तालमेल होना चाहिए ताकि आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को आराम से पूरा करने में मदद मिल सके। इसलिए वित्तीय वर्ष के शुरू में ही अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार सही निवेश साधनों का चुनाव करना बहुत जरूरी है। यदि आप जल्दी से अपनी टैक्स प्लानिंग शुरू करते हैं तो आपको बाद में अपने विकल्पों पर दोबारा सोच-विचार करने और उनमें उसी हिसाब से जरूरी फेरबदल करने का समय मिलेगा। लेकिन, यदि आप वित्तीय वर्ष के अंतिम पड़ाव पर टैक्स प्लानिंग करते हैं तो आप सिर्फ टैक्स सेविंग के लिए साधनों का चुनाव कर सकते हैं और अच्छे निवेश रिटर्न पाने में असफल हो सकते हैं।

रिटर्न ज्यादा मिलेगा
जल्दी शुरुआत करने से आपको कम्पाउंडिंग की ताकत का लाभ उठाने का मौका मिलेगा। लेकिन, यदि आप निवेश करने में देर कर देते हैं तो आपको एक साल तक हर महीने नियमित रूप से निवेश करते समय मिलने वाले रिटर्न से हाथ धोना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, ईएलएसएस में एक सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) में आपको एक लम्प सम इन्वेस्टमेंट की तुलना में रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ दिलाने की बेहतर क्षमता होती है। इससे आपको वित्तीय वर्ष के अंत में एक बहुत बड़ी रकम निवेश करने से बचने में भी मदद मिलेगी। अपनी रिस्क प्रोफाइल के आधार पर, आपको अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी और डेब्ट निवेश साधनों का एक अच्छा मिश्रण रखना चाहिए। यदि आप अपने करिअर की शुरुआत में हैं और रिस्क लेना नहीं चाहते हैं तो आप अच्छे रिटर्न के लिए मार्केट से जुड़े निवेश साधनों में निवेश कर सकते हैं। रिस्क विरोधी निवेशक, फिक्स्ड इनकम वाले निवेश साधनों का भी चुनाव कर सकते हैं। इसलिए अपने लक्ष्यों का आकलन करने के लिए और सोच-समझकर फैसला लेने के लिए अपने आपको पर्याप्त समय दें।

उम्र आधारित टैक्स प्लानिंग:
एक असरदार टैक्स प्लान बनाने के लिए, अपनी उम्र, इनकम और अपनी वर्तमान वित्तीय परिस्थिति में होने वाले अन्य बदलावों पर विचार करना जरूरी है। आइए जान लीजिए कि जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव पर आपको अपने टैक्स की प्लानिंग कैसे करनी चाहिए:

20 की दशक में
यह आपकी उम्र का वह पड़ाव है जब आप नौजवान होते हैं और बस अभी-अभी कमाना शुरू ही किया होगा। जबकि टैक्स प्लानिंग आपके लिए बहुत जरूरी नहीं भी हो सकता है, लेकिन फिर भी जल्दी से शुरुआत करने से आपको अपने फाइनैंस पर अपना कंट्रोल रखने का मौका मिलेगा। इस पड़ाव पर, आप ईएलएसएस फंड्स जैसे रिस्की विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं। ये लम्बे समय में ज्यादा रिटर्न देते हैं जिससे आपको सिर्फ महंगाई को मात देने में ही मदद नहीं मिलेगी बल्कि आपको सेक्शन 80C के तहत कटौती का लाभ भी मिलेगा। आप सुरक्षित विकल्पों, जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश करने के बारे में भी सोच सकते हैं जो गारंटीशुदा रिटर्न और सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ देते हैं। इस उम्र में टर्म इंश्योरेंस लेने से प्रीमियम कम लगेगा जो पॉलिसी की सम्पूर्ण अवधि तक फिक्स्ड रहेगा और आपको सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ भी देगा।

30 की दशक में
उम्र के इस पड़ाव पर, हो सकता है कि आप अपने करिअर में सेटल हो गए हों, एक अच्छा इनकम कमा रहे हों और शायद अब तक आपका एक परिवार भी बन चुका हो। अपनी रिस्क उठाने की चाहत का आकलन करने के बाद, सेक्शन 80C के तहत कटौतियों का लाभ उठाने के लिए ईएलएसएस और यूएलआईपी (यूलिप) में निवेश करने के बारे में सोचें। एक होम लोन के माध्यम से अपना घर खरीदने से आपको अपना खुद का एक घर खरीदने का लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी जिसके साथ आपको अपने प्रिंसिपल राशि के रीपेमेंट के लिए सेक्शन 80C के तहत रु.1.5 लाख तक और ब्याज राशि के भुगतान के लिए सेक्शन 24B के तहत रु.2 लाख तक का टैक्स लाभ मिलता है। अपने परिवार की जरूरतों का आकलन करने के बाद, अपना इंश्योरेंस कवर बढ़ाएं और आवश्यक कटौतियों के लिए दावा करें। आप बढ़ते हेल्थकेयर खर्च से निपटने के लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं और सेक्शन 80D के तहत कटौतियों के लिए दावा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आप नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में निवेश करके एक रिटायरमेंट फंड तैयार करने के बारे में भी सोच सकते हैं और सेक्शन 80C के तहत मिलने वाले टैक्स लाभ से ऊपर सेक्शन 80(CCD) के तहत रु.50,000 तक की अतिरिक्त कटौती के लिए दावा कर सकते हैं।

40 की दशक में
यह उम्र का वह पड़ाव है जहां आप अपने आपको किसी भी तरह के रिस्क में डाले बिना स्थिरता पाना चाहते होंगे। आप अपने फाइनैंस को एक जगह करने के बारे में सोच रहे होंगे। आप होम लोन, बच्चों की ट्यूशन फीस, इत्यादि जैसे अपने सामान्य खर्चों के लिए सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ उठाना जारी रख सकते हैं। उन निवेशों में निवेशित रहना बुद्धिमानी का काम होगा जो कम रिस्की हैं लेकिन अच्छे रिटर्न देते हैं।

50 और 60 की दशक में
उम्र के इस पड़ाव पर, आपका ध्यान अपने रिस्क को कम करने और अपने निवेशों के माध्यम से मिलने वाले एक अच्छे खासे रिटर्न को सुरक्षित करने पर होना चाहिए। होम लोन, बच्चों के एजुकेशन लोन, लाइफ और इंश्योरेंस प्रीमियम, एनपीएस में निवेश इत्यादि के माध्यम से आप अपनी टैक्स सेविंग का ख्याल रख सकते हैं। यदि आपकी उम्र 60 साल से अधिक है तो आपको सीनियर सिटिज़न्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) में निवेश करना चाहिए जिस पर आपको शानदार रिटर्न मिलने के साथ-साथ सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ भी मिलता है। टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपोजिट्स और अन्य छोटे-मोटे सेविंग स्कीम्स भी इस पड़ाव पर निवेश करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

एक कार्यकुशल टैक्स प्लानिंग का नियम यही है कि इसकी शुरुआत जल्दी से करनी चाहिए, इसलिए अप्रैल शुरू होते ही अपनी टैक्स प्लानिंग की प्रक्रिया को शुरू करना एक समझदार वित्तीय कदम होगा।
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Tax planning is the analysis of a financial situation or plan from a tax perspective. The purpose of tax planning is to ensure tax efficiency. Through tax planning, all elements of the financial plan work together in the most tax-efficient manner possible. Tax planning is an essential part of a financial plan. Reduction of tax liability and maximizing the ability to contribute to retirement plans are crucial for success.

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Friday, September 27, 2019

खास मामलों में आईटीआर फाइल करने की डेट एक महीने बढ़ी

टैक्स ऑडिट करदाताओं के खातों की समीक्षा है. ऐसे करदाताओं में खुद का कारोबार करने वाले या पेशेवर सेवाएं देने वाले शामिल होते हैं.
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विशेष मामलों के लिए आईटीआर दाखिल करने की
 अंतिम तिथि पहले 30 सितंबर थी.
देश में कर मामलों की सर्वोच्च संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने विशेष मामलों के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि एक महीने बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी है, इससे पहले यह तिथि 30 सितंबर थी.

सीबीडीटी ने कहा, "देशभर से मिली प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए सीबीडीटी ने उन लोगों के लिए आईटीआर और ऑडिट रिपोर्ट्स दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी है, जिनके अकाउंट का ऑडिट होना बाकी है.

सीबीडीटी ने कहा है कि इसके लिए औपचारिक अधिसूचना जल्द जारी कर दी जाएगी. यह आईटीआर वे लोग भर सकते हैं, जिनकी एसेसिंग आयकर अधिनियम के सेक्शन 44AB के तहत की जाती है, इनमें कंपनियां, पार्टनरशिप कंपनियां, प्रोपराइटरशिप शामिल हैं और उनके अकाउंट को फाइलिंग के पहले ऑडिट करने की जरूरत होती है...

क्यों होता है टैक्स ऑडिट? 

क्या आपका खुद का कारोबार है? या आप पेशेवर सेवाएं देते हैं? एक सीमा से ज्यादा कारोबार होने पर आपको अपने खातों का टैक्स ऑडिट कराना पड़ता है. ऑडिट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट करता है. ऑडिट हर वित्तीय वर्ष यानी हर साल में एक बार तो किया ही जाता है. यह आपकी ओर से खुद भी हो सकता है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से भी ऑडिट करने के लिए कभी भी पूछा जा सकता है. ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट की ओर से किया जाता है.

 क्या है टैक्स ऑडिट?

टैक्स ऑडिट करदाताओं के खातों की समीक्षा है. ऐसे करदाताओं में खुद का कारोबार करने वाले या पेशेवर सेवाएं देने वाले शामिल होते हैं. इन खातों की समीक्षा इनकम, डिडक्शन, कर कानूनों के अनुपालन इत्यादि के नजरिए से की जाती है.

किसे कराना होता है टैक्स ऑडिट?


जिन करदाताओं का टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है और प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम का चयन नहीं किया है या जिनकी कुल व्यावसायिक आय 50 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें टैक्स ऑडिट कराने की जरूरत होती है.

नहीं कराया टैक्स ऑडिट तब? 

बही-खातों का ऑडिट कराने में विफल रहने वाले करदाताओं को पेनाल्टी का भुगतान करना पड़ता है. यह पेनाल्टी टर्नओवर का 0.5 फीसदी होती है. लेकिन, डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती है. टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को 30 सितंबर या उससे पहले दाखिल कर देना चाहिए. यह उन करदाताओं के मामले में अनिवार्य है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन से जुड़ा सौदा नहीं किया है.
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